



- औद्योगिक मंत्री नंद गोपाल नंदी ने दिए एसआईटी जांच आदेश
- करोड़ों रुपये हुआ गबन घोटाला, फसेंगे कई अफसर
आर बी लाल
बरेली, टेलीग्रामसंवाद। प्रदेश भर में रोजगार सृजन करने के लिए सरकारों ने कई उद्योग लगवाए, लेकिन नौकरशाही की मनमानी से धीरे-धीरे बंद भी हो गए। जिसमें बहेड़ी कताई मिल भी शामिल है। बरेली समेत 11 कताई मिले हैं, सभी लगभग बंद हैं। लेकिन संबंधित अधिकारियों ने अपना लूटखसोट का धंधा जारी रखा। बंद मिलों से सामान चोरी करा दिया। वेतन नहीं दिया। सुरक्षा के लिए लगाए गए गार्ड में भी खेल हुआ है। इसकी शिकायत हिंद सिक्योरिटी एजेंसी ने की है। एजेंसी व अन्य श्रोतों से मिली शिकायत के बाद उच्च स्तरीय जांच हुई। प्रबंध निदेशक, आयुक्त व निदेशक ने पिछले दिनों इसकी जांच कराई थी। जिसमें हिंद सिक्योरिटी फोर्स एजेंसी द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए। जिसमें सरकारी धन का दुरुपयोग व करोड़ों रुपये गबन होना मिला है। जांच कमेटी ने इसे गंभीर आर्थिक अपराध मानते हुए किसी एजेंसी से जांच कराने तथा दोषी अफसरों पर कार्रवाई कराने हेतु संस्तुति की थी।

मंत्री हैरान, कैसे हो गया खेल
औद्योगिक मंत्री नंद गोपाल नंदी ने जांच समिति की रिपोर्ट का अध्ययन किया। जिसमें करोड़ों रूपए का घोटाला विभागीय अफसरों द्वारा किया गया है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी भी जताई और बोले आखिर यह कैसे हुआ? शनिवार शाम औद्योगिक मंत्री ने मामला गंभीर मानते हुए एसआईटी जांच के आदेश दे दिए। जिससे विभाग में खलबली मची हुई है।

घोटाले में शामिल अफसर
कताई मिलों में करोड़ों रूपए का घोटाला हुआ है। जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। जांच रिपोर्ट में ईपीएफ, ईएसआई, जीएसटी और अन्य भुगतान आदि में करोड़ों रूपए का घोटाला हुआ है। रिपोर्ट में तत्कालीन महाप्रबंधक एनके मिश्रा, वीके मिश्रा, विभागीय वित्त अनुभाग से जुड़े सुधांशु सक्सेना, रमेश सारस्वत समेत करीब आधा दर्जन अधिकारी फंस गए है। एसआईटी जांच की जानकारी मिलते ही खलबली मच गई है।

संयुक्त आयुक्त उद्योग व उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय ऋषि रंजन गोयल
रखरखाव नाम पर लिए करोड़ों रुपए, हो गया बंदर बांट
धूल खा रही अरबों रुपये की जमीन व संयंत्रों वाली मिलों में रखरखाव नाम पर पिछले दस साल में 20 करोड़ रुपये शासन से लिए गए। एस्टीमेट महाप्रबंधक एनके मिश्र व सचिव वीके मिश्र ने बनवाए थे। दोनों के खिलाफ अनियमितताओं के साथ रिश्वत की शिकायत पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ से की गई। इसकी जांच संयुक्त आयुक्त उद्योग व उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय ऋषि रंजन गोयल से कराई गई थी। बताया जाता है कि गोयल ने बारीकी से जांच कर दोनों अफसरों को अपने कार्यकाल के दौरान गंभीर अनियमितताओं व गबन का दोषी पाया। बताया जाता है कि जांच व कार्रवाई से बचने के लिए दोनों ने दस्तावेज तक गायब कर दिए। जांच में पाया गया कि दोनों ने सुरक्षा एजेंसी व कर्मचारियों की संख्या के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा किया। रिपोर्ट में घोटाले में शामिल अफसरों पर एफआईआर की संस्तुति की गई थी। इसके आधार पर औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने पूरे प्रकरण में एसआईटी जांच और एफआईआर के आदेश दिए हैं।
