नया बोर्ड गठन हुआ नहीं, नगर पालिका और पंचायतों में निकल गए करोड़ों के टेंडर

शासनादेश को अनदेखा कर निकाय अफसरों ने किया खेल

कमिश्नर और डीएम तक पहुंचा मामला, जांच शुरू

बरेली, टेलीग्राम हिंदी। स्थानीय निकायों में मेयर और चेयरमैन का कार्यकाल पूरा होने और नया बोर्ड गठन होने तक किसी प्रकार के टेंडर और नीतिगत फैसले आदि पर प्रतिबंध लगा हुआ था। बाकायदा शासनादेश भी जारी किया गया है, इसके बावजूद जिले में कुछ नगर पालिका और नगर पंचायत अफसरों ने करोड़ों रुपए के टेंडर मनमाने तरीके से निकाल दिए हैं। मामला कमिश्नर और डीएम तक पहुंचा है। टेंडर घोटाले में जांच भी शुरू हो गई है। कुछ निकाय अध्यक्ष ने कहा है कि वे पूरे प्रकरण की जांच कराएंगे।

स्थानीय निकायों में दिसंबर 2022 से लेकर मार्च 2023 तक चेयरमैन के कार्यकाल पूरे हो गए थे, इसके बाद शासन से निर्धारित व्यवस्था के अनुसार निकायों का प्रबंध आदि होने लगा। लेकिन चुनाव आचार संहिता लगते ही तमाम विभागों में खेल शुरू हो गया जिसमें नगर पालिका और नगर पंचायत सबसे आगे रहे।

नया बोर्ड गठन होने से पहले टेंडर मांगे

नया बोर्ड गठन होने से पहले ही कई अधिशासी अधिकारियों ने शासनादेश के विपरीत बिना किसी अनुमोदन करोड़ों रुपए की टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी। जबकि प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने 04 जनवरी 2023 को एक शासनादेश जारी कर आदेश दिया था कि स्थानीय निकायों में कार्यकाल पूरा होने और नया बोर्ड गठन होने तक किसी प्रकार के नीतिगत मामले नहीं किया जाए। स्थानीय निकायों में दैनिक कार्य और प्रबंधन व्यवस्था हेतु त्रिस्तरीय समिति बना दी जाए लेकिन नीतिगत मामलों में परहेज रखा जाए। हर कार्य का अनुमोदन अनिवार्य होगा।

सामने आया टेंडर घोटाला

शपथ समारोह होने के बाद स्थानीय निकायों में नई सरकार अस्तित्व में आई तब टेंडर घोटाला सामने आया। कुछ चेयरमैन ने इस पर तीखी आपत्ति की है। उनका कहना है बोर्ड अस्तित्व आने से पहले ही टेंडर जारी हो गए इसकी जांच जरूरी है दोषियों को दंडित भी होना चाहिए उनका कहना है कि वह निकाय में अभी नए है पूरी प्रक्रिया से अधिक गए लेकिन मामला गंभीर जरूर है मनमानी नहीं होने देंगे।

अफसरों ने शासनादेश किया अनदेखा

स्थानीय निकायों में कई अधिशासी अधिकारियों ने शासनादेश को अनदेखा कर नया बोर्ड गठन होने से पहले ही मनमाने तरीके से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी। समाचार पत्रों में इसका प्रकाशन भी कराया गया है। बताया जाता है कि टेंडर प्रक्रिया शुरू करने हेतु जिलाधिकारी से अनुमोदन ही नहीं लिया गया है।
प्रतिबंध के बावजूद स्थानीय निकाय अफसरों ने टेंडर प्रक्रिया अपने चहेतों को काम देने के लिए आनन-फानन में यह सब कुछ किया गया है। इसकी शिकायत डीएम शिवाकांत द्विवेदी और कमिश्नर सौम्या अग्रवाल से की गई है। शिकायत मिलने पर इन अधिकारियों ने गंभीरता से संज्ञान भी लिया है। जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी ने कहा है कि बोर्ड गठन होने से पहले अनुमति बगैर निकाले गए टेंडर नया बोर्ड और चेयरमैन चाहे तो रद्द करा कर पुनः प्रक्रिया शुरू करा सकते हैं।

बहेड़ी चेयरमैन बोलीं, टेंडर घोटाला की कराएंगे जांच

बहेड़ी से भाजपा चेयरमैन रश्मि जायसवाल ने बताया कि उन्होंने शनिवार को ही शपथ ली है। टेंडर मामला संज्ञान में आया है। नगर पालिका परिषद बहेड़ी अधिशासी अधिकारी वीरेंद्र प्रताप सिंह, नगर पालिका बहेड़ी अवर अभियंता (जल) विपिन कुमार ने 26 मई को हाई मास्ट, एलईडी लाइटों की आपूर्ति के लिए टेंडर आमंत्रित किया था। मामले की जांच कराई जाएगी। आचार संहिता में टेंडर किसके आदेश से और किन परिस्थितियों में निकाला गया। नियमानुसार नहीं होने पर टेंडर निरस्त कराया जाएगा। मामले में कार्यवाही होगी। क्योंकि नया बोर्ड बन गया है उसको ही इस तरह टेंडर मांगने का अधिकार है।

Telegram Hindi
Author: Telegram Hindi