बरेली में बने आभूषण अयोध्या में प्रभु श्री राम को पहनाए गए

हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स ने किया चुनौती पूर्ण कार्य, बरेली चर्चा में

आर बी लाल

बरेली,टेलीग्रामसंवाद। अयोध्या में प्रभु श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में करोड़ों लोग साक्षी बने। लेकिन यह शायद ही किसी को मालूम होगा कि जिस मूर्ति की ललक पाने के लिए लोग व्याकुल थे। उसके वस्त्र, आभूषण, मुकुट आदि बरेली में बनाए गए। इसका खुलासा प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न होने के बाद हुआ। हरसहायमल श्यामलाल ज्वैलर्स बरेली नामक सुप्रसिद्घ फर्म द्वारा यह ऐतिहासिक कार्य किया गया। करीब दो सप्ताह तक 19-20 घंटे 70 से अधिक कारीगर गहने गढऩे में लगे रहे। समय कम होना और एक बड़ी चुनौती को पूरा करना आसान काम नहीं था। काम करते-करते कुछ कारीगर तो बेहोश तक हो गए।

साथ में यह निर्देशित किया गया कि आभूषण पूरी तौर से उत्तरी भारत जैसे ही बनना हैं। मोहित आनंद कहते हैं यह निर्देश मिलने पर हमारे साथ यह समस्या थी कि दक्षिण शैली में बनी मूर्ति पर उत्तर भारतीय आभूषण कैसे सजाए जाएं। निर्देश यह भी थे कि यह सब काम दो सप्ताह में पूरा किया जाना है। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। हमने अपने कुशल कारीगरों से विचार-विमर्श किया। मोहित खुद भी एक बेहतरीन कारीगर हैं। जमीन से जुड़े रहे हैं, इसलिए यह सारा काम निर्धारित अवधि में पूरा हो गया।

उनका कहना है कि मैं और मेरा पूरा परिवार कृतज्ञ है कि यह कार्य हमें मिला। कारीगर भी हमारे प्रफुल्लित हैं। सारा काम गोपनीय तरह से करना भी एक चुनौती ही था, लेकिन सबकुछ प्रभु कृपा से
संपन्न हो गया।

आभूषण हैं अनमोल

मुकुट : उत्तर भारतीय परंपरा में स्वर्ण निर्मित मुकुट माणिक्य, पन्ना, हीरों से अलंकृत है। मुकुट के मध्य सूर्य चिह्न बना है, जो सूर्यवंश का प्रतीक है। दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गई हैं।

कुंडल : भगवान के कुंडल पर
मयूर आकृतियां बनी हैं। ये सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हैं।

कंठा : अर्द्धचंद्राकार रत्नों से
जड़ित कंठा है। इसमें फूल और सूर्य देव बने हैं। ये सोने, हीरे, माणिक्य जड़ा है। पन्ने की लड़ी लगी है।

हृदय : ह्दय पर कौस्तुभमणि है, जो बड़े माणिक्य और हीरों से अलंकृत है।

पदिक : कंठ से नीचे नाभिकमल से ऊपर तक का हार है। हीरे और पन्ने का पंचलड़ा है। नीचे एक बड़ा पेंडेंट लगा है। पैरों में सोने के कड़े और पैजनियां पहनाए गए हैं।

धनुष-बाण : प्रभु राम के बाएं हाथ में 5.5 फुट का सोने का धनुष है। मोती, माणिक्य, पन्ने की लटकनें हैं। दाएं हाथ में दो फुट का सोने का बाण है।

वनमाला : गले में फूलों की आकृति की वनमाला है। मस्तिष्क पर पारंपरिक मंगल-तिलक हीरे और माणिक से बनाया गया है।

चरण : प्रभु के चरणों में कमल है। नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है। खेलने के लिए चांदी के खिलौने बनाए गए हैं। इसमें झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौना गाड़ी है।

प्रभा मंडल : प्रभु राम के प्रभा- मंडल पर सोने का छत्र लगा है।

विजयहार : विजय की प्रतीक माला दो फुट लंबी सोने से है। इसमें कई माणिक लगे हैं। वैष्णव परंपरा मंगल चिह्न, सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख, मंगल-कलश दर्शाया गया है। इस पर पांच प्रकार के पुष्प कमल, चम्पा, पारिजात, कुंद और तुलसी उकेरा गया है।

करधनी : इसमें सोने से प्राकृतिक छटा उकेरी गई है। ये हीरे, माणिक्य, मोती, पन्ने से अलंकृत है। छोटी-छोटी पांच घंटियां लगी हैं। साथ ही, मोती, माणिक्य, पन्ने की लड़ियां लटक रही हैं।

बाजूबंध, कंगन, मुद्रिका :
दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रलों से जड़ित बाजूबंध पहनाए गए हैं। हाथों में रत्न जड़ित कंगन और मुद्रिकाएं हैं। इनमें मोती लटक रहे हैं।

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Author: Telegram Samvad