रिद्धिमा में ‘अनंतप्रवाह’ के माध्यम से गुरुओं और शिष्यों ने कथक नृत्य में पिरोई टैगोर की भावनाएं

टेलीग्राम संवाद

बरेली। कला की नगरी बरेली में रविवार शाम एक अद्भुत दृश्य देखने को मिला जब एसआरएमएस रिद्धिमा की रंगशाला में गुरुओं और शिष्यों ने गुरुदेव रबिंद्रनाथ टैगोर को कथक के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का नाम था अनंतप्रवाह, जिसमें नृत्य, संगीत और साहित्य का ऐसा संगम देखने को मिला कि दर्शक मंत्रमुग्ध रह गए।

कार्यक्रम की शुरुआत ‘प्रथोमा आदि ताबो शक्ति’ गीत पर विद्यार्थियों की सामूहिक प्रस्तुति से हुई, जिसने मंच को एक पवित्र और सांगीतिक वातावरण से भर दिया। इसके बाद अवियान, आयत, गौरिका, नितारा, समीक्षा, सान्वी, इशान्वी समेत लगभग तीस विद्यार्थियों ने टैगोर के गीतों जैसे ‘पगली हवा’, ‘दुई हटे कालेर मोंदिरा’, ‘मोर बीना ओथै’ और ‘मोमो चित्ते नाचे सुंदर नार’ को कथक की पारंपरिक मुद्राओं में पिरोकर प्रस्तुत किया।

इन प्रस्तुतियों में जहां भावों की गहराई थी, वहीं ताल और लय की सटीकता ने भी दर्शकों की तालियों की गूंज बटोरी।

विशेष आकर्षण रहे कथक गुरु अंशू शर्मा, देबाज्योति नस्कर और रियाश्री चटर्जी, जिन्होंने ‘इशो श्यामलो सुंदरो’ और ‘झोरो झोरो झोरो रोंगर झरना’ जैसे गीतों को अपने अनुभवी कथक नृत्य से जीवंत किया। गुरु और शिष्यों की संगत ने इस प्रस्तुति को एक नया आयाम दिया।

कार्यक्रम का समापन सभी कलाकारों द्वारा राष्ट्रीय गान की भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुति से हुआ, जिसने दर्शकों के हृदय को गहराई से छुआ।