



आचार्य मुकेश मिश्रा
टेलीग्राम संवाद, बरेली। वर्ष भर में पड़ने वाली सभी पुर्णिमाओं का अपना महत्व होता है। लेकिन, वैशाख मास की पूर्णिमा का अपना अलग ही महत्व है। क्योंकि, इसी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का बुद्धावतार और कूर्मावतार हुआ था। इसलिए यह पूर्णिमा स्नान-दान-पुण्य, पूजा पाठ के लिए अपना विशेष महत्व रखती है। इस बार पूर्णिमा तिथि रविवार, 11 मई को शाम 08:01 मिनट शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन सोमवार 12 मई को शाम 08:24 पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार वैशाख पूर्णिमा 12 मई सोमवार को मनाई जाएगी। ज्योतिष के अनुसार इस बार पूर्णिमा के दिन कई शुभ संयोगों का निर्माण भी हो रहा है। जिससे इस पर्व का महत्व कई गुना अधिक बढ़ेगा। बता दें, पूर्णिमा के दिन वरियान के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही इस दिन स्वाती नक्षत्र के विशाखा नक्षत्र भी रहने वाला है और मीन राशि में शुक्र, शनि और राहु ग्रह एक साथ विराजमान रहकर त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे यह सभी मंगलकारी संयोग बेहद शुभ माने जाते हैं। पूर्णिमा तिथि के दिन यह योग और नक्षत्र का शुभ संयोग बनने के कारण यह तिथि और भी खास बनने जा रही है। इसलिए इस दिन कुछ उपाय करने सेआर्थिक तंगी दूर होगी साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिल जाएगी।

पूर्णिमा का पौराणिक महत्व
भविष्य पुराण एवं आदित्य पुराण के अनुसार इस दिन प्रातः नदियों एवं पवित्र सरोवरों में स्नान के बाद दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध, भगवान विष्णु और भगवान चंद्र देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी हो जाती हैं। इससे संकटों का नाश होकर दुर्भाग्य सौभाग्य में बदलता है। इस दिन पीपल की भी पूजा का विधान है क्योंकि पीपल को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है।
पूर्णिमा पर करें पूजा-पाठ
पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद किसी ऐसे मंदिर जाएं, जहां पीपल हो। पीपल के पास आसन बिछाएं और पीपल की जड़ में जल, गाय का दूध चढ़ाएं। कुमकुम, चंदन अबीर, गुलाल, हार-फूल आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा के बाद पीपल की परिक्रमा करें। इस दिन गंगा स्नान दान- पुण्य और भगवान विष्णु की पूजा चमत्कारिक फल देगी। पूर्णिमा पर जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज आदि दान करें।

