



डॉ.सुनील गुप्ता ने की पत्रकार वार्ता
बताई हकीकत बोले कुछ लोग रच रहे अस्पताल को बदनाम करने की साजिश
त्रिनाथ मिश्रा
टेलीग्राम संवाद, मेरठ। केएमसी अस्पताल मेरठ में पिछले दिनों किडनी चोरी का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराने व अस्पताल की छबि खराब करने के मामले में नया मोड़ आ गया है। हाईकोर्ट इलाहाबाद ने पूरे मामले को तत्थ्यहीन पाते हुये मुकदमे को खत्म कर दिया है।
बताया जा रहा है कि बुगरासी बुलंदशहर की रहने वाली कविता देवी ने केएमसी अस्पताल पर आरोप लगाया था कि यहां के चिकित्सकों ने उनकी किडनी निकाल ली है। इसके बाद से अस्पताल के संचालक डॉ. सुनील गुप्ता व उनके अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों द्वारा मानसिक दबाव व सामाजिक तिरस्कार के अलावा आर्थिक रूप से नुकसान उठाना पड़ा।
रोगी की किडनी है असामान्य
पत्रकार वार्ता के दौरान डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि शहर के एक चिकित्सक द्वारा अल्ट्रासाउण्ड में रोगी की बांयी तरफ की किडनी को निफ्रेक्टामी बतायी गई है जिसका अर्थ है कि किडनी को आपरेट कर निकाल ली गई है। डॉ. सुनील ने कहा कि यह बताना तकनीकि सीमाओं का उलंघन है।
नोटिस भेजकर मांगी रकम
इस अल्ट्रासाउण्ड रिपोर्ट के बाद कविता देवी के वकील ने एक नोटिस अस्पताल संचालक डॉ. सुनील गुप्ता को भेजा, इसमें कहा गया कि डॉ. सुनील ने महिला का बायां गुर्दा निकाल लिया है तथा उसने इस प्रकरण के बदले 40 लाख की मांग भी की।
साक्ष्य के नाम पर बुलाया बुलंदशहर
मामले में डॉ. सुनील गुप्ता ने जब साक्ष्य की मांग की तो अधिवक्ता ने इन्हें बुलंदशहर बुलाकर मामले को रफा-दफा करने को कहा। मगर डाॅ. सुनील वहां नहीं गये और इसके बाद कविता के वकील ने जिला उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया। वो हर संभव कोशिश में रहे थे कि किसी तरह डाॅ. सुनील उनके कब्जे में आ जायें।
मामले में सीजेएम बुलंदशहर के समक्ष एक मुकदमा प्रस्तुत किया गया कि उपभोक्ता फोरम में दर्ज मुकदमे को वापस लेने की धमकी डाॅ. सुनील गुप्ता ने दी है और इस आधार पर ही नरसैना थाने से आख्या अदालत द्वारा मांगी गई जिसमें यह कहा गया कि इस प्रकार की कोई घटना थानाक्षेत्र में नहीं हुई। इसके बावजूद अदालत ने छ: चिकित्सकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के आदेश पारित कर दिये।
हाईकोर्ट में लगाई फरियाद, दिखाये सबूत्ा
पूरे मामले में केएमसी अस्पताल के निदेशक डाॅ. सुनील गुप्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया और वहां पर सबूतों व आख्या के आधार पर मामला तथ्यहीन पाया गया इसके बाद माननीय न्यायमूर्ति ने मुकदमे को क्वैश कर दिया। मुकदमा खत्म होने से पहले मामले में हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत प्रदान करते हुये पुलिस को पहले जांच करने फिर अरेस्ट करने का आदेश भी दिया था।
हाईकोर्ट ने मांगी थी सीएमओ से रिपोर्ट
प्रकरण में केएमसी अस्पताल के विरुद्ध लगाये गये आरोपों की जांच करने के लिये हाईकोर्ट ने सीएमओ से रिपोर्ट मांगी थी जिसमें पांच चिकित्सकों की टीम ने जांच-पड़ताल के बाद आरोपों को तथ्यहीन व सत्यता से परे माना। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले में विवेचना कर रहे विवेचक से भी रिपोर्ट मांगी और तथ्यों के आधार पर मामले को क्वैश कर दिया जिससे केएमसी अस्पताल के निदेशक डाॅ. सुनील गुप्ता व उनके चिकित्सकों ने राहत की सांस ली है।
गौरतलब है कि केएमसी अस्पताल के निदेशक डाॅ. सुनील गुप्ता अब तक सत्तर हजार से भी अधिक सर्जरी कर चुके हैं जिसमें मरीजों को संतुष्टि भी मिली व समाज को सकारात्मक संदेश भी। मगर उनपर आरोप लगाने वालों ने उनकी छबि खराब करने की कोशिश की और अस्पताल की प्रसिद्धि को कहीं न कहीं बदनाम करने का भी काम किया। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह बता दिया कि न्याय मिलता है और सत्य कहीं छिप नहीं सकता।
छबि खराब करने की कोशिश, मानहानि का होगा मुकदमा
मामले में केएमसी अस्पताल के अधिवक्ता एसके दीक्षित ने बताया कि अस्पताल की छबि खराब करने वालों को कतई बख्शा नहीं जायेगा, उनके विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर किया जायेगा ताकि भविष्य में झूठे आरोपों के आधार पर किसी को नुकसान पहुंचाने वालों पर नकेल कसी जा सके।

