गुजरात- महाराष्ट्र स्थापना दिवस पर दिखा देशभक्ति, विकास व एकता का संगम

विशेष प्रतिनिधि

टेलीग्राम संवाद, रांची। जब पूरा देश कामगार दिवस मना रहा था, वहीं झारखंड राजधानी रांची स्थित राजभवन में एक विशेष आयोजन माध्यम से महत्वपूर्ण राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र स्थापना दिवस पर एकात्मता, गर्व और राष्ट्रभक्ति की अनुभूति हुई। झारखंड में निवास कर रहे इन दोनों राज्य नागरिकों को सम्मानित कर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को पुनः प्रतिध्वनित किया गया।

कार्यक्रम शुरुआत एक गंभीर और भावनात्मक क्षण से हुई। जम्मू-कश्मीर पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों को श्रद्धांजलि दी गई। मंच से वक्ताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह हमला केवल कुछ लोगों पर नहीं, बल्कि भारतीय समाज और मानवता की मूल भावना पर हमला है।

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है

“अब आतंकियों की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। भारत किसी को छेड़ता नहीं, लेकिन अगर कोई हमें छेड़े, तो हम उसे छोड़ते भी नहीं हैं।”

अटल जी की कविताएं बनीं देशभक्ति का प्रतीक

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने यह रेखांकित किया कि भारत केवल सीमाओं से परिभाषित नहीं होता, बल्कि उसकी आत्मा उसके नागरिकों के संकल्प और बलिदान में बसती है।

गुजरात और महाराष्ट्र राज्य नहीं, राष्ट्र स्तंभ

उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र योगदान को ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से देश के लिए अमूल्य बताया। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक भारत के निर्माण तक इन राज्यों की भूमिका को बार-बार रेखांकित किया गया। नमक सत्याग्रह, बारडोली आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन जैसे निर्णायक जनांदोलनों की चर्चा हुई।

राज्यपाल श्री गंगवार ने कहा
महात्मा गांधी, सरदार पटेल, बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, विनायक दामोदर सावरकर, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और महात्मा फुले जैसे महामानवों के योगदान का स्मरण किया गया।

इन आंदोलनों में गुजरात और महाराष्ट्र की जनता की भागीदारी को “देश की आत्मा की पुकार” बताया गया।

आर्थिक और औद्योगिक शक्ति:

राज्यपाल श्री गंगवार ने कहा भारत की वैश्विक आर्थिक पहचान गढ़ने में इन दोनों राज्यों की भूमिका अद्वितीय रही है।गुजरात कपड़ा, रसायन, कृषि और पत्तन विकास, महाराष्ट्र में वित्त, फिल्म, तकनीकी शिक्षा और गन्ना उद्योग को विशेष सराहना मिली।श्री गंगवार ने गुजरात मॉडल देशभर में विकास का आदर्श बताया और उनके द्वारा प्रधानमंत्री मोदी की रणनीतियों की प्रशंसा की गई।

कृषि और शिक्षा में अग्रणी

शिक्षा के क्षेत्र में IIT, IIM, टाटा इंस्टिट्यूट जैसे संस्थानों को भारत की ज्ञानशक्ति का प्रतीक बताया गया।उन्होंने झारखंड में बसे गुजराती और मराठी समाज ने न केवल अपनी सांस्कृतिक पहचान को जीवित रखा, बल्कि राज्य के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अपर मुख्य सचिव और एडीसी (पुलिस) जैसे उच्च पदों पर महाराष्ट्र के नागरिकों की सेवा को भी सराहा गया।

राजनीतिक संकेत और भावी दिशा

उन्होंने बताया यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक एकता का प्रतीक था, बल्कि यह भी स्पष्ट संकेत था कि भारत अब आतंकी हमलों पर नरमी नहीं बरतेगा। केंद्र सरकार नीति स्पष्ट, सामरिक दृढ़ता और विकास की प्रतिबद्धता इस पूरे आयोजन में परिलक्षित हुई है।

शुभकामनाएं और संकल्प

कार्यक्रम समापन गुजरात और महाराष्ट्र की निरंतर प्रगति की कामना और सभी नागरिकों से अपनी जन्मभूमि व कर्मभूमि दोनों के विकास में सहभागी बनने के आह्वान के साथ हुआ।उन्होंने कहा आयोजन केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि एक राजनीतिक- सामाजिक संदेश था। भारत विविधता ही उसकी ताकत है, और जब देश की अस्मिता पर हमला होता है, तो गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, कश्मीर—हर राज्य एक साथ खड़ा होता है।