थिएटर से बॉलीवुड तक: अभिनेता अश्वथ भट्ट बोले – कलाकार बनने का कोई शॉर्टकट नहीं, मेहनत ही असली मंत्र

आर.बी. लाल

टेलीग्राम संवाद, बरेली। की रंगमंचीय धरती पर जब अश्वथ भट्ट मंच पर दर्शकों से मुखातिब हुए तो लगा जैसे थिएटर और सिनेमा की दुनिया एक साथ सजीव हो उठी। राज़, हैदर, केसरी, मिशन मजनू और डिप्लोमेट जैसी फ़िल्मों में अपनी सशक्त भूमिकाओं से पहचान बनाने वाले भट्ट, बरेली रंगमंच महोत्सव के दौरान दर्शकों के बीच थे। उनसे हुई लंबी बातचीत में रंगमंच का संघर्ष, सिनेमा का अनुभव और नए कलाकारों के लिए संदेश – सब कुछ बेहद खुलकर सामने आया।

अश्वथ भट्ट ने सबसे पहले बरेली की रंगमंचीय संस्कृति की जमकर तारीफ़ की। उनका कहना था –
“बरेली का थिएटर जुझारू है। यहां के कलाकारों में जुनून है। लेकिन असली विकास तभी होगा जब सालभर ट्रेनिंग, वर्कशॉप्स और नाट्यशालाएं नियमित चलें।”

थिएटर – असली पाठशाला


ऑडियंस को भी चाहिए ट्रेनिंग

भट्ट ने दर्शकों की भूमिका को भी उतना ही अहम बताया जितना कलाकारों की। उनका कहना था –
“सिनेमा पर्दे पर होता है, लेकिन थिएटर लाइव आर्ट है। इसे तहज़ीब से देखना पड़ता है। मोबाइल बजना, फ्लैश मारना – यह सब धीरे-धीरे सुधरेगा। लेकिन ज़रूरी है कि स्कूलों में थिएटर क्लासेस हों ताकि आने वाली पीढ़ी थिएटर देखना और समझना सीख सके।”

टाइपकास्टिंग से जंग


इंडिपेंडेंट सिनेमा से जुड़ाव

भट्ट ने बताया कि उन्होंने केवल मुख्यधारा बॉलीवुड ही नहीं, बल्कि कई इंडिपेंडेंट और रीजनल सिनेमा में भी काम किया है। उड़िया, बंगाली, पंजाबी, तमिल, मलयालम और कन्नड़ फ़िल्मों में वे नज़र आ चुके हैं।
“बड़ी फिल्में आसानी से स्क्रीन पा लेती हैं, छोटी फिल्मों को संघर्ष करना पड़ता है। लेकिन मुझे गर्व है कि मैंने छोटे सिनेमा में भी अलग-अलग प्रयोग किए।”

युवाओं के लिए संदेश

अश्वथ भट्ट ने बेहद साफ़ शब्दों में कहा –“जो भी युवा कलाकार बनना चाहता है, उसे थिएटर से शुरुआत करनी चाहिए। ट्रेनिंग के बिना कुछ नहीं होता। मेहनत करो, धैर्य रखो और सीखने की ललक बनाए रखो। तभी आप बड़े कलाकार बन सकते हो।”


अश्वथ भट्ट: एक संक्षिप्त जीवनी

जन्म: 5 जुलाई 1975, कश्मीर

शिक्षा:राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी), नई दिल्ली

लंदन एकेडमी ऑफ़ म्यूज़िक एंड ड्रामेटिक आर्ट्स (LAMDA)

करियर की शुरुआत: रंगमंच से।

राज़ी (2018) – मेजर सैयद

हैदर (2014) – लीआउट किरदार

केसरी (2019)

मिशन मजनू (2023) – जियाउल हक

डिप्लोमेट (2024) – मलिक

IB71 (2023)

मंडली, मेड इन इंडिया टाइटन, रजनी की बारात (आगामी)

थिएटर:

Actors’ Truth नाम से अपनी परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स कंपनी स्थापित की।

देश-विदेश में अनेक मंचन किए।

विशेषता: बहुभाषी और बहुमुखी अभिनेता, जिन्होंने हिंदी के अलावा पंजाबी, उड़िया, बंगाली, तमिल, मलयालम, कन्नड़ फिल्मों में भी काम किया।

अश्वथ भट्ट का यह साक्षात्कार केवल एक अभिनेता की यात्रा नहीं बल्कि थिएटर और सिनेमा की गहराई को समझने का अवसर भी है। उनका संदेश साफ़ है –
👉 थिएटर असली पाठशाला है। मेहनत, ट्रेनिंग और धैर्य से ही कलाकार बनते हैं।
👉 ऑडियंस को भी थिएटर की तहज़ीब सीखनी होगी।
👉 और सबसे बड़ी बात – कलाकार को हर बार नए प्रयोग करने चाहिए।

बरेली जैसे शहर में रंगमंच की यह गूंज और अश्वथ भट्ट जैसे कलाकारों की मौजूदगी निश्चित ही आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।


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Author: telegramsamvad