- बरेली में रोमांचकारी नाटक बर्फ प्रस्तुति करने पहुंचे प्रसिद्ध अभिनेता सौरभ शुक्ला से बातचीत
आर.बी. लाल
टेलीग्राम संवाद, बरेली। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता भारतीय अभिनेता सौरभ शुक्ला अपने नाटक बर्फ का मंचन करने बरेली आए थे। सोमवार सुबह उनसे कुछ बातचीत हुई उन्होंने कहा छोटे शहरों में नाटक चलाना या मंचन करना एक मुश्किल काम है फिर भी बरेली जैसे शहर में गतिविधियां सराहनीय है।उनका कहना है पारंपरिक नाटक बनाने के साथ ही नये प्रयोग कर फिल्मों की तरह नाटक बनाने की जरूरत है, जिससे दर्शकों को आकर्षित किया जा सके।

बालीवुड अभिनेता सौरभ शुक्ला ‘जाली एलएलबी’ के जज साहब ने अपने मस्तमौला और बेबाक अंदाज में कभी जवाब दिए। तो कभी सवाल कर लिये। नाटक मंचन लेकर रंगकर्मी सौरभ शुक्ला मानते हैं कि अब पारंपरिक नाटक बनाने के साथ ही नये प्रयोग करके फिल्मों की तरह नाटक बनाने की जरूरत है, जिससे दर्शकों को आकर्षित किया जा सके। उन्होंने एक मुलाकात में नाटक और फिल्म से संबंधित विषय पर बातचीत करते हुए कहा कि यूपी, बिहार या किसी अन्य राज्य से बस, ट्रेन या हवाई जहाज चाहें जिस माध्यम से बालीवुड में जाएं संघर्ष तो करना पड़ेगा। यह संघर्ष बड़ा सीख देने वाला होता है। संघर्ष के दिन अल्हड़ और मस्ती से भरे होते हैं, क्योंकि उस समय दो बेकाम लोग दोस्त हो जाते हैं और फिर जो करते हैं वो खास होता हैं।
उन्होंने कहा संघर्ष से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि यह डर दूर करता है। वह कहते हैं फिल्म, वेब सीरीज और नाट्य मंचन, मुझे तीनों विधाओं से बराबर प्यार है। ये तीनों विधाएं हैं, जिसमें अच्छा काम मिले मन से करो। यह तीनों काम के माध्यम हैं, हमें काम का आनंद लेना है, माध्यम पर केंद्रित नहीं होना है। वह कहते हैं कि थियेटर करना जरूरी है, जो प्रयोग करना चाहो करो। बस नाटक खूबसूरती बनाए रखें। वह बताते हैं कि देश में नाटकों की दो तरह की प्रथा रही है। अब ऐसे नाटक बनाईये जो सिनेमा देखने वालों को पसंद आए।
युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगे के सवाल पर मुस्कुराकर कहा कि एक युवा दूसरे युवा को क्या ही संदेश देगा, बस यही कहना है कि युवा ही बने रहिए, बड़े बनने की कोशिश मत करिये और आनंद लीजिए।
सौरभ शुक्ला ने नाटकों को सीमाओं से परे जाकर काम करने की सीख दी।


नाटक बर्फ ने दर्शक बांधे
नाटक बर्फ एक रोमांचकारी प्ले है। सौरभ शुक्ला ने बरेली में अपना बर्फ नामक नाटक दो बार मंचन किया। दर्शकों से खूब वाहवाही लूटी। नाटक देख रहे लोगों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया। बरेली जैसे छोटे शहर में बड़े अभिनेता द्वारा नाटक प्रस्तुति आसान काम नहीं था। फिर भी ड्रामा ड्रॉप्सआउट्स व वेगामाईन नामक संस्था ने इसे कर दिखाया। जिसमें शोभा भसीन, खुशी भसीन, तनुज भसीन, संदीप झावर, विभोर गोयल जैसे कई लोग लोगों ने सक्रिय योगदान दिया। अभिनेता सौरभ शुक्ला द्वारा अभिनीत, निर्देशित नाटक देखकर लोगों ने सराहा। बरेली में वह में पहली बार नाटक करने आए थे। श्री शुक्ला अपनी एक अमित छाप छोड़कर गए हैं। साथ ही यह भी सीख दे गए कि बरेली में नाटक बेहतर तरीके से किया जा सकता है।

कलाकार एवं दल-:
सौरभ शुक्ला- )कलाकार/अभिनेता (मुख्य भूमिका
अश्विन डी. गिडवानी- निर्माता
सुनील पलवाल- कलाकार/अभिनेता कलाकार
आंचल चौहान- अभिनेत्री
राघव मिश्रा- तकनीकी निदेशक एवं प्रकाश डिजाइनर
अरुणा नितिन पूजारी- रंगमंच प्रबंधक
अनिल कुमार चौधरी- सहायक निर्देशक एवं ध्वनि ऑपरेटर
चंद्रभूषण शिवशंकर- सहायक रंगमंच प्रबंधक मंच/
श्यामदास मौर्य
कार्यक्रम के दौरान संदीप झावर डायरेक्टर (वैगमाइन एंटरप्राइजेज और वैगमाइन सिटी मॉल),दिव्या झावर, तनुज भसीन, दिनेश गोयल, वीरेन्द्र स्वरूप, माधुरी, योगेश गोयल, भावेश अग्रवाल, सुरेश सुंदरानी, शुभा भट्ट भसीन, राजू चौहान, नितिन मोदी, लव तोमर, बृजेश तिवारी, पंकज मौर्य आदि दर्शकों में शामिल थे। उन्होंने नाटक की प्रस्तुति को सराहा और कलाकारों को उत्साहपूर्वक प्रोत्साहित किया।




