12 बेटियां बनीं शिवप्रिया, परमात्मा बने जीवनसाथी

सात संकल्प के साथ पूरी हुई समर्पण की प्रक्रिया, अब ब्रह्माकुमारी कहलाएंगी
दुल्हन की तरह सजधजकर पहुंचीं, शिवलिंग को पहनाई वरमाला
मातापिता हो गए भावुक, अब समाजसेवा ही जीवन का लक्ष्य

डी के सिंह

इंदौर, टेलीग्रामहिन्दी। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन समाज और विश्व कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पण कर देना महान संकल्प, तप और साहस का निर्णय होता है। अध्यात्म की राह पर चलते हुए 12 बेटियां शिवप्रिया बन गईं। ये ब्रह्मचारिणी बेटियां दुल्हन की तरह सज-धजकर, श्वेत वस्त्रों में जब स्टेज पर पहुंचीं तो हर कोई भावुक हो उठा। माता-पिता और भाई-बहनें चुनरी की चादर बनाकर दुल्हन के वेश में स्टेज पर ले गए। इसके बाद परमात्मा शिव को अपना जीवन साथी स्वीकारिते हुए शिवलिंग पर वरमाला पहनाई।

मौका था ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के जोनल मुख्यालय ओम

शांति भवन की ओर से पिपलिहाना रोड स्थित कृष्णोदय नगर के पामट्री रिसोर्ट में शुक्रवार शाम को दिव्य अलौकिक प्रभु समर्पण समारोह आयोजित किया गया। इसमें मप्र सहित महाराष्ट्र, राजस्थान और उप्र की 12 कुमारियों ने ब्रह्माकुमारी बनने का संकल्प लिया। वहीं माता-पिता ने अपनी कन्याओं का हाथ जोनल निदेशिका राजयोगिनी आरती दीदी के हाथों में सौंपते हुए कहा कि आज से मेरी लाड़ली आपकी अमानत है। मुझे गर्व है कि मेरी बेटी ने विश्व कल्याण के लिए यह साधना का मार्ग चुना है। माता-पिता बोले- ये आंसू दुःख के नहीं खुशी के हैं। दैवी स्वरूप बेटियों को पाकर मेरा जीवन धन्य हो गया। कितने जन्मों के पुण्य कर्म होंगे जो इस जन्म में शक्ति स्वरूपा बेटी मिली। कार्यक्रम में एक हजार से अधिक लोग मौजूद रहे।

परमात्मा को पाने के बाद कुछ पाना शेष नहीं रह जाता है

जोनल निदेशिका राजयोगिनी आरती दीदी ने कहा कि सच्चा समर्पण होता है मन-बुद्धि का समर्पण। जब हम तन के साथ मन-बुद्धि को परमात्मा पर अर्पण कर देते हैं, उनकी श्रीमत के अनुसार चलते हैं तो फिर परमात्मा जिन्हें परमेश्वर कहते हैं वह हमारी हर पल, हर क्षण ख्याल रखते हैं, मदद करते हैं। परमात्मा को पाने के बाद जीवन में कुछ पाना शेष नहीं रह जाता है। जिसने स्वयं सृष्टि के रचयिता त्रिमूर्ति, तीनों लोकों के स्वामी को अपना बना लिया तो उनसे भाग्यवान कोई हो नहीं सकता है। अहमदाबाद की सुप्रसिद्ध संगीतकार डॉ. दामिनी बहन ने आध्यात्मिक गीतों की प्रस्तुति दी।

इनके जीवन से हजारों लोगों को मिलेगी प्रेरणा

मप्र उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायामूर्ति बीडी राठी ने कहा कि कहते हैं बेटियां दो कुल का उद्धार करती हैं लेकिन ये बेटियां हजारों परिवारों का उद्धार करने के निमित्त बनेंगी। इनके प्रेरणादायी जीवन से लोगों को सद्मार्ग पर चलने, श्रेष्ठ कर्म करने और परमात्मा के बताए मार्ग पर चलने का ज्ञान मिलेगा। भौतिकता की चकाचौंध से दूर इनका जीवन समाज के लिए आदर्श है। सदा परमात्मा की बताई श्रीमत पर चलकर अपना, लौकिक परिवार और अलौकिक परिवार का नाम रोशन करें।

पांच साल सेवाकेंद्र पर रहने के बाद होता है चयन

राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं। संस्थान में 50 हजार से अधिक बहनें समर्पित हैं।

ब्रह्माकुमारी बनकर लिए सात संकल्प –

  • मैंने स्व विवेक, स्व इच्छा, अनुभव के आधार पर यह निर्णय लिया है कि अब मैं अपना सारा जीवन परमात्मा के इस पुनीत कार्य में समर्पित कर सफल करुं।
  • आज इंदौर ज़ोन की  मुख्य प्रशासिका आदरणीय राजयोगिनी आरती दीदीजी के पावन सानिध्य में आयोजित समारोह में अव्यक्त बापदादा एवं सर्व ब्राह्मण परिवार के समक्ष यह प्रतिज्ञा करती हूं कि मैं अपने दिल में सदा एक दिलाराम शिव बाबा को ही दिल में बसाऊंगी।
  • सदा श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ शिवबाबा की श्रीमत पर पूर्णत: चलूंगी।
  • सदा शिवबाबा और उनके द्वारा रचित यज्ञ के प्रति आज्ञाकारी, ईमानदार और वफादार बनकर सच्चाई और दिल की सफाई के साथ चलूंगी।
  • मन-वचन और कर्म से पवित्रता के व्रत का पालन करुंगी।
  • शिव बाबा मुझे जहां बिठाएं, जो खिलाएं, जो पहनाएं इस कथन को अपने जीवन का आधार बनाकर चलूंगी।
  • सादगी को अपने जीवन का शृंगार बनाऊंगी।
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Author: Telegram Hindi