- रामपुर लोकसभा उपचुनाव में आजम खां को उनके ही वार से पटकनी देने की केसरिया खेमे ने बनाई है रणनीति

आरबी लाल
राजनीतिक विश्लेषक
रामपुर से लोकसभा उपचुनाव के लिए भाजपा ने पूर्व एमएलसी घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाया है। लोधी लंबे सपा में रहे और उनको एमएलसी बनाने में आजम खां की खास भूमिका रही। ऐसे में, आजम खां ने जिसे चुनाव में जिताया, अब उन्हीं से उनको उपचुनाव में जोरदार टक्कर के साथ साथ जूझना पड़ेगा। ऐसे में, भाजपा के इस दांव ने आजम खां को कड़ी चुनौती दे दी है।
बता दें कि रामपुर लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में मुख्तार अब्बास नकवी और जयाप्रदा में से किसी को भी फिर मैदान में उतारने की अटकलों के बीच शनिवार को भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद (एमएलसी) रहे घनश्याम लोधी को प्रत्याशी घोषित कर दिया। भाजपा के पत्ते खुलने के बाद अब समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। माना जा रहा है कि आजम खां अपनी पत्नी या परिवार किसी और सदस्य को उपचुनाव में सपा प्रत्याशी बनवा सकते हैं। ऐसे में, उनको भाजपा प्रत्याशी के रूप में कभी अपने खास रहे घनश्याम लोधी से ही जूझना होगा। किसी से चुप नहीं है कि घनश्याम लोधी को एमएलसी बनवाने में आजम खां की खास भूमिका रही।
गौरतलब है कि पांच माह पहले तक घनश्याम लोधी उत्तर प्रदेश विधान परिषद में बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय सीट से सपा के एमएलसी हुआ करते थे। भाजपा में जाने की सुनियोजित रणनीति अपनाते हुए बीती 15 जनवरी को उन्होंने समाजवादी पार्टी पर पिछड़ों और दलितों के शोषण का आरोप लगाते हुए पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि तब यह माना गया था कि घनश्याम लोधी मार्च में होने वाले एमएलसी चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हो सकते हैं लेकिन भाजपा ने उनके बजाय बरेली के कुंवर महाराज सिंह को एमएलसी चुनाव लड़वाया। महाराज सिंह जीत भी गए लेकिन तब तक लोगों को यह अनुमान नहीं कि लोधी को लाकर भाजपा पांच-छह माह बाद होने वाले रामपुर लोकसभा चुनाव पर नजर रखे हुए है। वह भी आजम खां को उनके ही दांव से पटखनी देने की मंशा के साथ वह रणनीति पहले ही बना चुकी थी। इसका खुलास अब हुआ है तो जानकार यह कह रहे हैं कि उपचुनाव में सपा प्रत्याशी को जिताना आजम खां के लिए पहले जितना आसान नहीं होगा।
बता दें कि भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में रामपुर से पूर्व सांसद जयाप्रदा को प्रत्याशी बनाया था लेकिन वह सपा प्रत्याशी आजम खां के मुकाबले चुनाव हार गईं। हालांकि कुछ भाजपाई यह भी अनुमान लगा रहे थे कि जयाप्रदा को फिर से चुनाव मैदान में इसलिए उतारा जा सकता है क्योंकि इस बार आजम खां विधायक बनने की वजह से सपा से खुद न लड़कर अपनी पत्नी या परिवार से किसी को चुनाव मैदान में उतारेंगे। ऐसे में, यह समझा जा रहा था कि भाजपा इस बार केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को प्रत्याशी बना सकती है लेकिन घनश्याम लोधी को लाकर भाजपा ने एक तीर से कई दांव चले हैं। रामपुर जिले में लोधी-राजपूत वोटर अच्छी संख्या में हैं। उनको घनश्याम के जरिए पार्टी के साथ लाया ही जा सकेगा, वहीं, आजम खां को अपने खास रहे घनश्याम लोधी से कड़ा मुकाबला भी करना होगा।
आजम ने डॉ. अनिल का टिकट कटवाकर दिलवाया था घनश्याम को-
गौरतलब है कि घनश्याम लोधी वर्ष 2016 में एमएलसी तब बने, जब प्रदेश में सपा की सरकार थी। पहले सपा हाईकमान ने एमएलसी का टिकट बरेली के तत्कालीन पार्टी नेता डॉ. अनिल शर्मा को दे दिया था। उन्होंने नामांकन भी करा लिया था लेकिन नामांकन के अंतिम दिन तत्कालीन कैबिनेट मंत्री आजम खां ने ऐन मौके पर घनश्याम लोधी को सपा प्रत्याशी घोषित करा दिया। उनके लिए सपा का सिबंल बरेली में हैलिकाप्टर से भिजवाया गया था। बाद में आजम खां ने उन्हें एमएलसी का चुनाव भी जितवा दिया। बता दें कि जनवरी में सपा छोड़ते हुए घनश्याम लोधी ने कहा था- सपा में बहुत दिनों से घुटन महसूस कर रहा था।
बसपा से लड़ चुके हैं लोकसभा चुनाव-
घनश्याम लोधी पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह के नजदीक हुआ करते थे। उन्हीं की मेहरबानी से राजनीति में आए। कल्याण सिंह ने जब राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी तो वह भी भाजपा छोड़कर राक्रांपा में शामिल हो गए थे। 2004 में कल्याण सिंह ने उनको पहली बार भाजपा के सपोर्ट से राक्रांपा प्रत्याशी के तौर पर बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी का चुनाव जितवाया था। 2009 में घनश्याम लोधी ने बसपा ज्वाइन करके उसके टिकट पर रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। बाद में वह सपा में शामिल हो गए और आजम खां के सहयोग से दुबारा एमएलसी बने थे। अब भाजपा में आकर वह दूसरी बाद रामपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
